राजस्थान की लोक देवी माता का सम्पूर्ण वर्णन जानिए, Gk Subhash charan sir Lok devi mata history
★ जयपुर
1 जमुवाय माता – जमुआ रामगढ़, जयपुर
निर्माण – दुल्हेराय
फुलदेवी – कचुवाह वंश की कुलदेवी
2 शीला माता –
- निर्माण – मनसिह
- मंदिर – जलेब चोक ओमार
आराध्य देवी – 2½ शराब छाग बलि दी जाती हैं
शीला माता की मूर्ति काले पत्थर की अष्ठ भुजावो की है जिसे मनशीह बंगाल के राजा , केदार कास्याथ, से छिनकर लाए थे
- ★ शक्मभरी माता – मेला – भाद्रपद शुक्ल अष्टमी
- मंदिर – सांभर, जयपुर
- निर्माण– 692 ई सिधराज चौहान ने
★ इसे साक सब्जी की देवी कहा जाता है
★ राजस्थान की सबसे प्राचीन देवी मानी जाती हैं
★इस माता को तीर्थो की नानी नाम से भी जानी जाती है
★देवयानी तीर्थ भी नाम जाना जाती है
नोट –
तीर्थो का मामा – पुष्कर
तीर्थो का भांजा – मचकुंड
दादीजी – रानी सती
चोहनो की कुलदेवी
नोट– जीन माता – अनन्त पर्देश सीकर चोहानो की कुलदेवी
आशापुरा माता – नोडाल, जालोर सोनगरा चोहनों की कुलदेवी
हिंगलाज माता – लोधर्वा चौहानों की कुलदेवी
★ सकराय माता/ शक्मभरी माता
मंदिर – शक्मभरी गांव सीकर
कुलदेवी – खंडेल वालो की
★ मंदिर – शील की डूंगरी पहाड़ी चाकसू, जयपुर
निर्माण – मधोसिह ने
मेला – चैत्र कृष्ण अष्टमी शीतला अष्टमी
– बास्थोड़ा के दिन ठंडा भोजन किए जाता हैं
– उपनाम – सेंडल माता , महामाई चेचक की देवी बचो की सारक्षिका, संतान देने वाली देवी
- मूल मंदिर – कांगा का बाड़ा जोधपुर
- अरोध्य वृक्ष –खेजड़ी
- पुजारी – कुम्हार
- वाहन –गधा
_ एक मात्र देवी जिसकी खण्डित मूर्ति की पूजा होती हैं
नोट – गंदो का पर्शिद मेला , माघ शुक्ल सप्तमी, लुनियावास जयपुर व सोरसेन अंत बारा में भरता है
– गर्दभ अभ्यारण – डलॉड झुंझुनूं में
★ नकटी माता –
मंदिर –भवानीपुरा, जयपुर
_ सबसे प्राचीन मंदिर – प्रतिहार कालीन
★ छिंक माता–
मंदिर – गोपाल जी का रास्ता, जयपुर,
★ छींछ माता – बांसवाड़ा
★ हिचकी माता – सानवाड़ा भीलवाड़ा
- रानी सती –
- मंदिर – झुंझुनूं
- मुलनाम – नारायणी देवी
- पति – तन्धन दास
- उपनाम – दादी जी
- मेला – भाद्रपद अमावस्या
- कुलदेवी – अग्रवालो की
1652 में हिसार के पास तन्धन दास की मृत्यु होने के बाद नारायणी देवी सती हो गई थी
★ करनी माता। –
- जन्म – वि. स. 1444 सुवास जोधपुर
- निधन – 1595 धनेरू की ताल बीकानेर
- उपनाम – डोगरी बाई दाड़ी मूछ वाली माता चूहा की माता
- बचपन नाम – रिद्धि बाई
- माता – देवल बाई
- पिता – मेहाजी कोनिया
- बहन – मुलाबो
- पुत्र – लाखा
- पति – देवजी
- कुलदेवी – चरणों व बीकानेर के राठोडो की
- – राठोड़ो की आराध्या देवी
- मेला नवरत्रो
- मंदिर मठ
- अवतार चील
- काबा सफ़ेद चूहा
- करनी माता की आराध्या तेमडा माता
- मंदिर में दो बड़ी कड़ाई है
- मदीर देशनोक बीकानेर
- निर्माण कर्ण सिंह।
नोट कोलायत में कबिलमुखी का मेला भरता ha जिसे मारवाड़ का पुष्कर कहते है
कपिलपुरा शंख्या दर्शन के प्रणेता माने जाते हैं
करनी माता के पुत्र लाखा की मृत्यु कोलायत झील में डूबने से हुई जिसे करनी माता ने। पुन जीवित कर दिया
- सावन भादवा कड़ाई
- सावन। भादवा झील सिरोही
- सावन भादवा नहर कोटा
- सावन भादवा महल डिंग
- चिरजा आरती
- सघाऊ शांति
चिराजा जीन माता गीत
चमत्कार लाखो को पुन जीवित करना
अपनी बुआ की विकलांगता दूर की
पिता के सांप का जहर उतारा
नेहड़ी को हरा भरा कर दिया
मेहरानगढ़ वह बीकानेर की नीव रखी
नागणेची चक्रवेरी माता
मूल मंदिर नांगणा गांव बाड़मेर
कुलदेवी राठोड़ों की
मूर्ति। नागवेची माता की मूर्ति 18
भुजवो की , काष्ठ की बनी होती है
जिसे कर्नाटक से लूंध ब्रह्मण गुजरात लाए थे
गुजरात से धुहड़ ने मूर्ति लाकर नागाणा गांव में मंदिर बनवाया था
राव बीका ने नागना गांव में मूर्ति लाकर मेहरानागड में मंदिर बनवाया
अपराध्या वृक्ष। नीम
अपराध्य पक्षी। सयन बाज
- चामुंडा माता – मंदिर मेहरानगढ़
- कुलदेवी गुजर परतिहारो की
- आराध्य देवी राठोड़ा की
- निर्माण। राव जोधा 1460 इ में
- मूर्ति मंडोर जोधपुर
- पुन निर्माण तख्तसीह
चोपड़ा आयोग 2008 के भगदड़ की जांच हेतु बना आयोग जिसके अध्यक्ष जसराज चोपड़ा थे
- आई माता
- मंदिर बिड़ला जोधपुर
- जन्म 1415 अंबापुर
- पिता भीखा
- गुरु रैदास
- रामदेव जी की अनुयायी
- बचपन नाम जीजा बाई
- अवतार दुर्गा का अवतार
- कुलदेवी सीरवी जाती की
- 1468 में डेरा पंथ 11 नियम चलाया था
- मंदिर दरगाह
- समाधि बडेर
- मेला भाद्रपद शुक्ल दितीय
- दीपक से केसर टपकती है
लतियाली माता मदिर फलोदी जोधपुर
कुलदेवी कल्ला राठौड़ की
इस माता को खेजडबेरी राय भवानी कहते हैं
सच्चियांन माता
मंदिर ओसियां जोधपुर
कुलदेवी ओसवालो की और परमारो
मंदिर निर्माण उपलदेव परमार
हिंगलाज माता – मंदिर बलूचिस्तान पाक
आदि सक्तिपीठ
मंदिर लोद्रपार जैसलमेर
साल धडसीसर जैसलमेर
उपनाम चांगली माई चर्मरोग की देवी
जन्म हरिदास डोरियो के घर
चांगला खाप मुस्लिम इसकी पूजा करते। हैं
कुलदेवी चोहनो की
आवाड़ माता
मंदिर जैसलमेर
सोनचिडी को झावड़ माता का रूप माना जाता हैं
पूजा चंगला खांप
चिर्जा एस्टुटिपिठ
आवाड माता के आशीर्वाद से मामड़िया चरण के 7 कथाओं का जन्म हुआ
1 स्वांगिय माता
मंदिर जैसलमेर
कुलदेवी भाटिया की
उत्तर की ढाल भी कहते है
2 देगराय माता
एक राक्षक भेंसो के झुंड में भैंसा बनकर रहता था और लोगो को परेशान करता था आवड माता के कहने पर बददारीया भाटी ने आवड़ माता के कहने पर इस राक्षक का वध कर दिया उस राक्षस को मारने में देगराय माता ने सहयाता की थी
मंदिर में रात को ठरना मना है
3 तेमड़ा माता
तेमडा माता ने हकरा नदी का पानी तीन चुलू में पी लिया था
आराध्य करनी माता की
द्वितीय हींगलाज के रूप में माना जाता हैं
4 काला डुंगराय माता
मंदिर निर्माण जवाहरसिंह
5 घंटियाली माता
घंटियाली नामक राक्षक का वध करने के बाद घंटियाली नाम पड़ा
1965 भारत पाक युद्ध के समय घटियाली माता के मुख से खून निकला था
6 भादरिया राय माता
मंदिर धोलिया जेसलमेर
बीकानेर जैसलमेर का युद्ध हुआ जिसमे जैसलमेर की जीत हुई थी
मंदिर का निर्माण गजसिह
7 तनोट माता
मंदिर तनोट जेसलमेर
निर्माण 888 वि स तनुराव भाटी ने
उपनाम थार की वेसनो देवी सेनिको की देवी
पूजा bsf के जवान
नोट वेसनोदेवी जम्मू कसमीर
राजस्थान की वेस्नोदेवी अरबुदा माता सिरोही
गिरबा की वेस्नो देवी नीमान माता उदयपुर
यह देवी 1965 के भारत पाक के युद्ध के पश्चात चर्चित हुई
मंदिर के सामने 2 विजय स्तंभ बने हैं
★ उस्टावाहिनी देवी
मंदिर बीकानेर जोधपुर
एक मात्र ऐसी देवी है जो ऊंट की सवारी करती हैं
कुलदेवी पुस्क्रणा ब्रह्मण की
★दधिमती माता
मंदिर गोठ मंगलोद जायल नागोर
निर्माण परतिहार वंश का राजा भोजनाज में 836 में करवाया था
कुलदेवी दाधीच/ दाहिमा ब्राम्हणों की कुलदेवी
सेली महमारू सेली से बना
त्रेतायुग में विक्तासुर नामक राक्षस का वध किया था महाराजा स्वरूप सिंह को उनको पुत्र रत्न की प्राप्ति का आशीर्वाद मिला
★ केवाय माता। / अंबिका माता
मंदिर किनसरिया गाव परबतसर नागोर
निर्माण दुर्लभराज चच्च चौहान 999 ई
ओरण हरा भरा स्थान
★ सुगली माता
मंदिर आउवा,पाली
कुलदेवी चंपावती
10 सिर 54 हाथ है
1857 की क्रांति देवी कहा जाता है।
सुगाली माता की मूर्ति अजमेर पाली और बाद में कोलकाता संग्रहालय में बनाई गई है 2018 में वसुंधरा राज्य ने वापस वही पर स्तपित कर दी
विरात्रा माता
मंदिर चोहटन बाड़मेर
कुलदेवी भोंपो की
मेला चैत्र बद्रपाद माघ शुक्ल चतुर्थी को
इस माता कि गर्दन टेडी हैं
आशापुरा माता
मंदिर मोदरा जालोर
कुलदेवी सोनगरा चौहान की कुलदेवी जालोर नाडोल
देवड़ा चौहान की कुलदेवी
मंदिर निर्माण। नाडोल के लखनशी 981 ई
आशापुरा
मादिर भदोच गुजरात
आसलापुर
मन्दिर जयपुर
निर्माण वसुदेव चौहान के पुत्र मानकराज ने
कुलदेवी जडेजो व भंडारियो की कुलदेवी
आशापुरा
मंदिर पोकरण
कुलदेवी बिस्सा जाति की
मूर्ति लुणभानजी मूर्ति को भुज से लाए थे
मेला भाद्रपद+ माघ शुक्ला दशमी
सुधा माता / अघ्तेसावरी माता
मंदिर सुंडा पर्वत जालोर
माता सती का सिर आकार यहां पड़ा था
धड़रहित मूर्ति है
20 दिसंबर 2006 रोपवे पर्थम
मंदिर निर्माण 1255 ई चोचिंग गदेव ने
कुलदेवी देवल राजपुतो की
★ जीण माता
जन्म धांधू चुरू
पिता धनधराज
बचपन नाम जीवन बाई
भाई हर्ष
मंदिर गिरिममाला गुफा रेवांसा सीकर
मंदिर को कालजा सिखरा नाम से जाना जाता हैं
निर्माण पर्थवीराज चौहान के सामंत हतड मोहिल 1121 वि स
में करवाया था
इसी मंदिर के तहखानों में जगदेव पवार ने अपनी बलि दी थी
औरंगजेब 1658 से 1707
1169 मंदिर होडो अभियान
सेना ने हर्ष मंदिर भी तोड़ने आई थी
लेकिन मधुमक्खियों ने आक्रमण कर दिया था
उपनाम
मधुमक्खियों की देवी औरंगजेब ने सोने का छत्र चढ़ाया
औरंगजेब की तरफ से अब तक दिल्ली से स्वा मन तेल आता था
2003 में जय जीण माता नाम से फिल्म बनी
चिरजा गीतो में सबसे लंबा गीत
कनफटे नाथो द्वारा गया गया था
कुलदेवी
अनंत प्रदेश के चौहानो सीकर व मिनाओ की कुलदेवी
2½ प्याले शराब चढ़ाई जाती है
- केला देवी / अंजनी माता/ जोगमाया
- मन्दिर त्रिकुट पर्वत करोली
- नोट त्रिकुट पहाड़ी जैसलमेर
- मूल निर्माण 1114 ई केदारगिरी
- आधुनिक निर्माण 1900 ई गोपालराय
- कलिसिल नदी के किनारे बना हुआ मंदिर
- केलादेवी देवकी व वासुदेवा की पुत्री
- केलादेवी ने नरकासुर राक्षस का वध किया था
- कुलदेवी यादवों व अग्रवालो की
- मंदिर के सामने बोहरा सामप्रदाय की छतरी
- मेला चैत्र शुक्ल अष्टमी लक्की मेला
- आराध्य देवी मीना और गुजर की
- गोठिया नर्तक मीना
- गुटकन कनक दंडवत नृत्य किया जाता हैं
- केलादेवी की याद में लमूरिया गीत गया जाता है
रामेश्वरी माता
मंदिर भरतपुर
कुलदेवी जाट राजव्वंस
अबुर्दा माता
मदिर माउंट आबू सिरोही
राजस्थान की वैष्णो देवी
नारायणी माता
- मंदिर ~ बरवा डूंगरी < अलवर
- शैली ~ प्रतिहार शैली
- जन्म ~ 949 ईस्वी
- पिता जी का नाम ~ विजयराम
- माता जी का नाम ~ रामवती
- मूलनाम ~ करमेती बाई
- पत्नी का नाम ~ करमसी
- कुलदेवी किसकी है ~ नाइयों की
- मेला ~ वैशाली शुक्ल एकादशी
मीणा के लड़के को पानी का वरदान दिया था
भदाना माता
- मंदिर ~ भदाना , कोटा
- कुलदेवी ~ हाड़ा शासको की कुलदेवी है
मुठ से पीड़ित व्यक्ति का इलाज
बर्ह्माणि माता राजस्थान की लोक देवी का वर्णन
- मंदिर ~ सोरसेन ( अंता बांरा )
- कुलदेवी ~ कुम्हारो की कुलदेवी
- पूजा ~ पीठ की पूजा हतो है पीठ संगार
- यह एक शैलाश्रय मंदिर है
- इस मंदिर के चारो और परकोटा है
मेला ~ माघ शुक्ल स्टपमी गधो का मेला